Maheshwari Ratna is the highest award of Maheshwari community which symbolizes extraordinary achievement and exceptional service to the Maheshwari community. The Maheshwari Ratna is awarded to a maximum of three (3) nominated Maheshwari individuals per year. The recipients of Maheshwari Ratna award receive a Sanad (certificate) signed by the "Maheshacharya", Supreme Guru post of Maheshwari community and a paan leaf-shaped medallion. Maheshwari Ratna Awards are given by the “Maheshacharya”, Peethadhipati of Divyashakti Yogpeeth Akhara (which is known as Maheshwari Akhada, is famous).
"माहेश्वरी रत्न" माहेश्वरी समाज का सर्वोच्च पुरस्कार है जो असाधारण उपलब्धि और माहेश्वरी समाज के लिए असाधारण सेवा का प्रतीक है। माहेश्वरी रत्न से प्रति वर्ष अधिकतम तीन (3) नामांकित माहेश्वरी व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है। माहेश्वरी रत्न पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को माहेश्वरी समाज के सर्वोच्च गुरु पद "महेशाचार्य" द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (प्रमाण पत्र) और एक पान के पत्ते के आकार का पदक मिलता है। माहेश्वरी रत्न पुरस्कार दिव्यशक्ति योगपीठ अखाड़ा (जो माहेश्वरी अखाड़ा के नाम से प्रसिद्ध है) के पीठाधिपति "महेशाचार्य" द्वारा दिए जाते हैं।
सेठ दामोदरदास राठी को माहेश्वरी समाज का सर्वोच्च पुरस्कार — माहेश्वरी रत्न
26 दिसंबर 2013, माहेश्वरी समाज का सर्वोच्च सम्मान 'माहेश्वरीरत्न' पुरस्कार वर्ष 2013 में कै. सेठ दामोदरदासजी राठी को घोषित किया गया है। यह प्रतिष्ठित एवं सर्वोच्च सम्मान (पुरस्कार) कै. राठी को मरणोपरांत मिला है। माहेश्वरी रत्न पुरस्कार दिव्यशक्ति योगपीठ अखाड़ा (जो "माहेश्वरी अखाड़ा" के नाम से प्रसिद्ध है) के पीठाधिपति "महेशाचार्य" कि ओरसे दिया जानेवाला पुरस्कार है। यह माहेश्वरी समाज का सर्वोच्च सम्मान है। इस अलंकरण से उन माहेश्वरी व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने किसी भी क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किए हों, अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर हमारे देश और माहेश्वरी समाज का गौरव बढ़ाया और हमारे समाज को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई। माहेश्वरी रत्न उच्चतम सम्मान है।
माहेश्वरी रत्न शेठ दामोदरदास राठी का जीवन परिचय -
शेठ
दामोदरदासजी राठी भारत के चमकते हुऐ सितारों में से एक थे। निष्काम दानी,
भारत के उज्वल पुरूष-रत्न, भारत माता के सच्चे सपूत, मारवाड़ मुकुट थे। शेठ
दामोदरदासजी राठी को माहेश्वरी समाज का (माहेश्वरीयों का) राजा कहा जाता
था। आपको तिलक युग का भामाशाह कहा जाता है।
दामोदरदास राठी का
जन्म 8 फरवरी सन् 1884 ई. को पोकरण (मारवाड़) में सेठ खींवराजजी राठी के घर
हुआ। आप आरम्भ से ही होनहार व मेघावी थे। मास्टर श्री प्रभुदयालजी अग्रवाल
की संरक्षता में व मिशन हाई स्कूल ब्यावर में आपने मेट्रिक तक विद्याध्ययन
किया। 15-16 वर्ष की आयु में ही आप लोकहित कार्यों में योगदान देने लगे व
साथ ही में अपने व्यवसाय कार्य की देख-रेख करते रहे। आप अत्यन्त कुशल
व्यवसायी थे। आपकी कृष्णा मिल्स् सन् 1893 ई. में भारतवर्ष भर के
मारवाडियों में सर्व प्रथम चली। भारत के प्रमुख-प्रमुख नगरों में आपकी
दुकानें जीनिंग फैक्ट्रीज् व पे्रसेज् थी। आप सिर्फ 19 वर्ष की आयु में सन्
1903 में ब्यावर म्युनिसिपेल्टी के सदस्य चुने गये। आपने सच्चे सेवक की
भांति जनता की सेवा की। अतः आम जनता में आप लोकप्रिय हो गये।
आप
(दामोदरदास राठी) राष्ट्रीय एंव् क्रान्तिकारी दल के थे। आपके विचार
महात्मा तिलक व अरविन्द घोष के थे। आपने क्रान्तिकारियों की तन-मन-धन से
सेवा की। देश के बड़े-बडे नेताओं से आपका सम्पर्क था। लोकमान्य तिलक व
योगीराज अरविन्द को आप ब्यावर लाने में सफल हुऐ। राष्ट्र के महापिता श्री
दादा भाई नौरोजी, भारतभूषण मालवीय जी, बॅगाल के बूढे शेर बापू सुरेन्द्रनाथ
बनर्जी, अमृत-बाजार पत्रिका के बाबू मोतीलाल घोष व पंजाब केसरी लाला
लाजपतराय आप पर बहुत स्नेह रखते थे। राष्ट्रवर खरवा के राव गोपालसिंहजी
आपके अन्यतम मित्र थे। आप स्वदेशी के अनन्य भक्त थे। देशवासियों के दैनिक
व्यवहार की समस्त वस्तुएं देश में ही तैयार कराने की व्यवस्था हो जिससे
भारत की गरीब जनता को भरपेट भोजन मिल सके ऐसा आपका सोचना था।
वर्ष
1908 में मात्र 24 वर्ष कि उम्र में दामोदरदास राठी ने माहेश्वरी समाज का
संगठन खड़ा करने तथा संगठन कि आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए 21,000/-
रुपयें डोनेशन (दान) दिया था जिसका मुल्य आज के हिसाब से करीब रु.
20,00,00,00,000/- (दो हजार करोड़ रुपये) से ज्यादा है। कै. श्री
दामोदरदासजी राठी ने 'अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा (ABMM)' में
महामंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दी है।
आप उच्चकोटि के
व्याख्यानदाता, शिक्षा-प्रसारक व साहित्य सेवी थे। इस हेतु आपने कई
वाचनालय, पुस्तकालय, पाठशालाएं, विद्यार्थीगृह व शिक्षा-मण्डल खोले तथा
अनेको अनाथालय व गुरूकुलों को आर्थिक सहायता दी। हिन्दू विश्व विद्यालय के
स्थापनार्थ महामना मालवीयजी को ब्यावर आने पर 11,000 /- रू. भेंट (दान)
किये जिसका मुल्य आज के हिसाब से करीब रु. 10,00,00,00,000/- (एक हजार करोड़
रुपये) से ज्यादा है। सनातन धर्म कॉलेज ब्यावर व मारवाड़ी शिक्षा मण्ड़ल
(नवभारत विद्यालय) वर्धा आज भी आपकी स्मृति के रूप में विद्यमान है। आप
राष्ट्रभाषा हिन्दी के तो प्रबलतम पुजारी थे।
शेठ दामोदरदासजी राठी सहृदय, सरल स्वभावी, निरभिमानी, न्याय-प्रिय, सत्यनिष्ठ व प्रखर
बुद्धि के व्यक्ति थे। आपके धार्मिक व सामाजिक विचार उदार थे। आपने सदैव
माहेश्वरियों के मूल सिद्धांतों का पालन किया और "अपने लिए नहीं बल्कि
कमाना है धर्मकार्य, देशकार्य, समाजकार्य और जनसेवा के कामों में दान करने
के लिए" इस माहेश्वरियों की जीवनपद्धति को पूर्ण रूप से जिया। आपका
स्वर्गवास 2 जनवरी सन् 1918 में 34 साल की अल्प आयु में ही हो गया। परन्तु
इतनी कम उम्र में समाज और भारत माता के वो त्वरित काम कर गये जिन्हें अन्य
के लिऐ करना असम्भव था। आपकी मृत्यु का समाचार पाकर सारा भारत-वर्ष शौक
मग्न हो गया। आपके निधन पर अनेको स्थानों पर शौक सभाऐं हुई। भारत के सभी
प्रमुख-प्रमुख समाचारपत्रों ने आपकी अकाल मृत्यु पर अनेकों आंसू बहाये।