Know, Why Mahesh Navami is celebrated? What is Mahesh Navami? What is its Significance, why is Mahesh Navami called Maheshwari Vanshotpatti Diwas. क्या आप जानते हैं महेश नवमी क्या है? क्यों मनाई जाती है? महेश नवमी को क्यों "माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिवस" कहा जाता है? यदि नहीं तब यह article आपके लिए पढना काफी जरुरी होगा. क्यूँ? इसका जवाब आपको आर्टिकल के अंत तक जरुर से मालूम पड़ जायेगा.
Mahesh Navami, biggest festival of Maheshwari community —
महेश नवमी का पर्व ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान महेश (भगवान शिव) के वरदान और देवी महेश्वरी (पार्वती) के आशीर्वाद से माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई, जिसे माहेश्वरी समाज माहेश्वरी वंशोत्पत्ति कहता है. माहेश्वरी मान्यता के अनुसार 3133 ईसा पूर्व में इसी दिन एक नए वंश की, माहेश्वरी वंश की शुरुवात हुई (इस दिन को माहेश्वरी समाज का स्थापना दिवस भी कहा जा सकता है), तभी से माहेश्वरी समाज माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिवस को महेश नवमी के नाम से मनाता आया है, मना रहा है. इसलिए माहेश्वरीयों के हर एक घर-परिवार में इस दिन भगवान महेश जी की पूजा का विधान है. इतना ही नहीं, समाज के विभिन्न संगठनों की ओरसे इस दिन "महेश नवमी" को सार्वजनिक रूप से भी मनाया जाता है, शोभायात्रा निकाली जाती है, भगवान महेश जी की महा आरती की जाती है, तथा इस अवसर पर समाजहित, जनहित एवं देशहित के अनेको कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता है. महेश नवमी का यह त्योंहार माहेश्वरीयों और माहेश्वरी समाज के अस्तित्व और पहचान से जुड़ा हुवा त्योंहार है इसलिए महेश नवमी माहेश्वरीयों का सबसे बड़ा त्योंहार है, सबसे बड़ा पर्व है. परंपरागत मान्यता के अनुसार महेश नवमी के दिन भगवान महेश जी की विधि विधान से पूजा करने से सुख, समृद्धि, धन, वैभव तथा यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है.
महेश नवमी पर्व मनाया जाये समस्त माहेश्वरी समाज के संयुक्त भागीदारी से...
समाजबंधुओं, माताओ और बहनो, जैसा की हम सब जानते है की माहेश्वरी समाज अपने वंशोत्पत्ति दिवस को "महेश नवमी" के नाम से समाज के सबसे बड़े पर्व, सबसे बड़े त्योंहार के रूप में मनाता है. महेश नवमी का यह पर्व किसी एक माहेश्वरी संगठन का कार्यक्रम (प्रोजेक्ट) नहीं है बल्कि समस्त माहेश्वरी समाज का पावन पर्व है इसलिए महेश नवमी का उत्सव हरएक माहेश्वरी परिवार और हरएक संगठन की संयुक्त भागीदारी से मनाया जाना चाहिए. इस पावन पर्व को मनाने के लिए हरएक शहर स्तर पर "महेश नवमी उत्सव समिति" बनाकर इस समिति के मार्गदर्शन और नेतृत्व में महेश नवमी उत्सव के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए.
महेश नवमी उत्सव समिति" की रूपरेखा —
अपने-अपने शहर में माहेश्वरी समाज के लिए कार्य करनेवाले जितने भी सामाजिक संगठन है (युवा मंच, युवा संगठन, प्रगति मंडल, महिला मंडल, युवती मंडल, बहु मंडल, युवा संगठन, महासभा का शहर संगठन, माहेश्वरीज क्लब, महेश सेवा संघ, महेश परिवार आदि जितने भी माहेश्वरी सामाजिक संगठन है) इन सभी संगठनों के अध्यक्ष और सचिव को लेकर (शामिल कर के) प्रतिवर्ष, 'महेश नवमी उत्सव समिति' का गठन किया जाये. यह समिति महेश नवमी उत्सव के आयोजक के रूप में कार्यक्रम की रुपरेखा बनाकर इस पर्व पर होनेवाले कार्यक्रम का संचालन करें. इस पर्व के कार्यक्रमों में मुख्य रूप से शोभायात्रा और महेशजी की महाआरती हो.
महेश नवमी के कार्यक्रम के लिए "महेश नवमी उत्सव समिति" के कार्यकर्ता-पदाधिकारी समाज के हरएक घर-परिवार पर जाकर उनसे राजीखुशी से दिया जानेवाला आर्थिक योगदान (दानराशि) जमा करें, उन्हें ससम्मान महेश नवमी कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करें. कार्यक्रम का खर्च किसी एक व्यक्ति या कुछ गिने चुने व्यक्ति या परिवार द्वारा ना करें बल्कि प्रतिवर्ष हरएक माहेश्वरी घर-परिवार से दानराशि जमा करके ही महेश नवमी का उत्सव और कार्यक्रम मनाया जाये. महेश नवमी के दिन समाजभोज (समाज के सामूहिक भोजन) का आयोजन ना किया जाये बल्कि अपने-अपने घर पर मिष्टान्न बनाकर दोपहर में महेश-पार्वतीजी को भोग लगाकर प्रसादी ग्रहण करें. महेश नवमी के कार्यक्रम पत्रिका, मुख्य बैनर (banner), शोभायात्रा में किसी एक संगठन के सिम्बॉल का नहीं बल्कि माहेश्वरी समाज के धार्मिक निशान/प्रतिक चिन्ह (symbol) "मोड़" और समाज के ध्वज "दिव्यध्वज" का प्रयोग (use) किया जाये. महेश नवमी के शोभायात्रा आदि कार्यक्रमों के माध्यम से समाज की संस्कृति, समाज की विरासत, समाज के गौरवचिन्हों और समाज की विशिष्ठ पहचान को कायम रखने तथा उनके संरक्षण-संवर्धन का कार्य किया जाये.
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हर घर-परिवार में भी मनाया जाये 'महेश नवमी उत्सव' —
अपने अपने शहर में समाज द्वारा महेश नवमी का भव्य 'सार्वजनिक महेश नवमी उत्सव कार्यक्रम' तो किया जाता है लेकिन हरएक माहेश्वरी घर-परिवार में भी महेश नवमी उत्सव मनाया जाना चाहिए. माता-बहनों से बिनम्र अनुरोध है की महेश नवमी के दिन दोपहर में अपने-अपने घर पर माहेश्वरी समाज के उत्पत्तिकर्ता, हमारे समाज के इष्टदेव भगवान महेशजी तथा महेश परिवार की सपरिवार पूजा-अर्चना करें, उन्हें भोग बताएं और आरती करें. इस दिन शिव-चालीसा, महेश मानस पूजा, महेशाष्टक का पाठ करें. पंचनमस्कार महामंत्र तथा महेशजी का अष्टाक्षर मंत्र "ॐ नमो महेश्वराय" का जाप करें. अपने परिवार के सुख-समृद्धि के लिए महेशजी-माता पार्वती-गणेशजी से प्रार्थना करें.
बिनम्र अनुरोध —
महेश नवमी के पावन पर्व पर "महेश नवमी उत्सव समिति" द्वारा आयोजित शोभायात्रा आदि कार्यक्रमों में सभी समाजबंधु, माता-बहनें, बच्चे-युवा-बुजुर्ग, परिवार का हरएक सदस्य हर्ष-उल्हास के साथ उपस्थित रहे. महेश नवमी उत्सव समिति द्वारा आयोजित महेश नवमी के मुख्य कार्यक्रम के अलावा अलग-अलग माहेश्वरी संगठन अपने-अपने संगठन की ओरसे समाजहितकारी कार्यक्रमों (जैसे की- जेष्ठ समाजबंधुओं/बुजुर्गों का सत्कार, स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर आदि...) का आयोजन करें; राष्ट्रसेवा के कार्य... जैसे की स्वच्छता अभियान, वृक्षावरोपण, रक्तदान शिविर जैसे कार्यक्रम लिए जाये.
माहेश्वरी वंश चिरायु होवो ! समस्त माहेश्वरीजनों को माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिवस "महेश नवमी" की हार्दिक शुभकामनाएं... भगवान महेशजी और देवी महेश्वरी की कृपा आप सभी पर सदैव बनी रहे यही मंगलकामनाएं !!!