Maheshwari Peoples Understand The Difference Between 'The Religious Symbol Of Maheshwari Samaj' And The Symbols Of 'Social Organizations Of Maheshwari Samaj'
The Maheshwari community's holy symbol is called the Mod (मोड़). Mod is the Maheshwaris main symbol. Mod is a symbol of Maheshwari culture and identity. This is the sign of Maheshwaris.
Symbol/Logo of Maheshwari community Mod is very meaningful and enriched. It awakes our internal powers and internal energy by only see it. The moral sentence of Maheshwaris is "Sarve Bhavantu sukhinh" means not only for Maheshwaris but also think about all people. This symbol is a symbol of truth, love and justice, which shows the ideals of Maheshwaris and the way to life.
माहेश्वरी समाज का प्रतिक चिन्ह है- मोड़ (Mod). मोड़, जिसमें एक त्रिशूल और त्रिशूल के बीच के पाते में एक वृत्त तथा वृत्त के बीच ॐ होता है. यह माहेश्वरी समाज का प्रतिक चिन्ह (Holy Symbol of Maheshwari community) है जिसका सृजन माहेश्वरी वंशोत्पत्ति के समय (लगभग 5100 वर्ष पूर्व) भगवान महेशजी द्वारा बनाए गए माहेश्वरीयों के गुरुओं ने किया था.
"मोड़' माहेश्वरी समाज का गौरव-चिन्ह है. Mod is the Maheshwaris main symbol. Mod is a symbol of Maheshwari culture and identity लेकिन इसकी जानकारी के अभाव में कुछ जगहों पर एक माहेश्वरी संगठन (संस्था) 'अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा' के सिंबॉल (कमल के फूल पर शिवपिंड) को ही माहेश्वरी समाज (Maheshwari community) का सिंबॉल समझकर उसका ही प्रयोग किया जाता है. माहेश्वरी समाज के मूल गौरव-चिन्ह 'मोड़' के जानकारी के अभाव में स्वतंत्र रूप से कार्य करनेवाले कई माहेश्वरी संगठन और संस्थाएं भी समाज का चिन्ह समझकर अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा इस संस्था के सिम्बॉल का ही इस्तेमाल करते हुए देखे जाते है.
...इसे हम इस तरह से समझे की जैसे अशोक चक्र, तिरंगा यह चिन्ह समस्त भारत देश के गौरव-चिन्ह है और कमल, पंजा, झाड़ू, सायकल आदि चिन्ह सिर्फ राजनीतिक पार्टियों के सिम्बॉल है, वैसे ही "मोड़" समस्त माहेश्वरी समाज का प्रतिक-चिन्ह है, गौरव-चिन्ह है और बाकि के चिन्ह जो है वो सिर्फ सामाजिक संगठनों (संस्थाओं) के सिम्बॉल है. समाजबंधुओं से निवेदन है की वे समाज के सिंबॉल और सामाजिक संगठनो-संस्थाओं के सिंबॉल के बिच के फर्क/अंतर को समझे.
समाज और समाज के संगठन यह दो अलग अलग चीजे है. समाज जैसे माहेश्वरी समाज, जैन समाज, अग्रवाल समाज, राजपूत समाज आदि; और समाज के संगठन मतलब किसी समाजविशेष के लिए कार्य करनेवाला कुछ समाजबंधुओं का समूह (ग्रुप). संगठन बनते है, बंद होते है, फिर नये बनते है यह प्रक्रिया चलती रहती है लेकिन समाज अक्षय है, सतत कायम रहता है फिर समाज का कोई संगठन (संस्था) हो या ना हो. इसलिए समाज का सिंबॉल सर्वोपरि है, सर्वोच्च है. किसी भी 'सामाजिक संगठन' के सिंबॉल से "समाज" का सिंबॉल (Symbol of community) श्रेष्ठ होता है.
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